मैं अपनों के संग कदम से कदम मिलता हूं,
लोग कहते हैं मुझे मैं सांप की तरह डस जाता हूं,
अपनी ख्वाहिश पूरी करते-करते,
मैं कहीं दूसरी जगह भटक जाता हूं,
लोग कहते हैं मैं आवारा हूं,
उन्हें क्या पता मैं किस चीज का मारा हूं,
अकेले जब मैं बैठता हूं तो तनहाइयां खा जाता है,
लोग मुझे कहते हैं तू अपनों को ही क्यों डस जाता है,
मैं आसमान में उड़ने की फिराक में रहता हूं,
फिर लोगों की बातें सुनकर जंजीरों से बंध जाता हूं,
निकल पड़ता हूं सोच के लोगों से दूर,
घर आते ही मैं प्यार के लिए तरस जाता हूं,
कैसे कहूं मैं अपनों के लिए ही मर जाता हूं...।।
- सुप्रिया साहू


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







