क्या कहूं
कैसे कहूं
क्या तुम समझ पाओगे
मेरे दिल के
अरमानो को
नींद भी नहीं आती
चैन भी नहीं मिलता
तेरी यादों में
इस कदर भूल गया
कहां था खड़ा
कुछ पता ही ना चला
पर कभी तो बात होगी
तब करुंगा
अपने ही दिल की बात
तब डर नहीं होगा
मिलेगा तुम्हारा साथ