आस्था के नाम पर
राजनीति फुल टाईट है।
आम जनता तो वैसे हीं हैं
सिर्फ़ नेताओं में फाईट हैं।
मत भूलिए की हिंदुस्तान
हर हिंदुस्तानी का है।
यहां पर मर मिटने वाले
यहां पर लिक्खे जाने वाले
हर ऐतिहासिक कहानी का है।
जात पात से ऊपर उठ जाओ यारों।
देश के लिए कुछ कर जाओ यारों।
रंग रूप नित भेद चाहें अनेक हों
फिरभी हम एक हैं।
हम भारत भारतीयों की भारतीयता
भयमुक्त भाव भीनी हैं।
चदरिया हम सबकी झीनी झीनी है।
बस प्रेम रस से भीनी भीनी है।
तो कुछ लोग इस चादर को दागदार क्यों कर रहें हैं।
जब हमसब लोग आपस में सदियों से
भाईचारे के साथ रह रहें हैं ।
लगता है कुछ लोग सिर्फ़ राजनीतिक रोटियां सेंक रहें हैं।
देखने वाली बात यह है कि भारत की हर
राजनीतिक पार्टियों में हर जाति धर्म के लोग हैं तो ऐसी पार्टियां अपने आप को सिर्फ फलां फलां जातियों तक हीं सीमित कैसे कर सकतीं हैं।
पार्टियां तो हर देशवासी के लिए हैं तो
सबके लिए उनकी सोच होनी चाहिए।
सिर्फ़ देश राष्ट्र मानवता के कल्याण के काम होनें चाहिए।
ये राजनीतिक ड्रामेबाजी बंद होनी चाहिए।
ये बंटवारे की राजनीति बंद होनी चाहिए..
सिर्फ़ देश की बात होनी चाहिए।
सिर्फ़ देश का विकास होना चाहिए।
बाकि सब उन्मादों से बचना चाहिए।
सिर्फ देश की बात होनी चाहिए..
सिर्फ़ देश की तरक्की होनी चाहिए...
सिर्फ़ देश की बात होनी चाहिए...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




