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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गौरैया चिड़िया - चंचल और जिज्ञासु

गाँव के किनारे बसा एक हरा-भरा बगीचा था, जहाँ रंग-बिरंगी फूलों की खुशबू हर दिशा में फैली रहती थी। इस बगीचे में गौरैया चिड़िया, जिसका नाम गुड़िया था, अपनी छोटी-सी दुनिया में बहुत खुश थी। गुड़िया का घोंसला एक बड़े पीपल के पेड़ की शाखा पर था। उसकी माँ, पिता और भाई-बहनें सभी यहीं रहते थे।

गुड़िया एक बहुत ही चंचल और जिज्ञासु चिड़िया थी। उसे आसमान की ऊँचाइयाँ, दूर-दूर तक फैले खेत और नदी के किनारे का शांत वातावरण बहुत आकर्षित करता था। लेकिन गुड़िया की माँ हमेशा उसे सचेत करती कि वह घोंसले से दूर न जाए, क्योंकि बाहर की दुनिया खतरों से भरी हुई है।

एक दिन, गुड़िया ने सोचा, "मैं अब बड़ी हो गई हूँ, मुझे भी दुनिया देखनी चाहिए।" वह मन में साहस जुटाकर अपने घोंसले से उड़ी और आसमान की ऊँचाइयों को छूने निकल पड़ी। उड़ते-उड़ते उसने गाँव के पार के एक बड़े जंगल को देखा। यह जंगल घने पेड़ों, रंग-बिरंगे फूलों और मीठे फलों से भरा था।

गुड़िया जंगल में घुस गई। वहाँ उसे एक बूढ़ा बरगद का पेड़ मिला, जिसने अपने विशाल पत्तों से उसे छाया दी। बरगद ने हंसकर कहा, "नन्ही गौरैया, तुम यहाँ क्या कर रही हो?" गुड़िया ने उत्साह से उत्तर दिया, "मैं दुनिया देखना चाहती हूँ।"

बरगद ने उसे स्नेहपूर्वक समझाया, "दुनिया बहुत बड़ी और सुंदर है, पर ध्यान रखना, हर जगह अच्छे और बुरे दोनों होते हैं।" गुड़िया ने उसकी बात गांठ बांध ली और अपनी यात्रा जारी रखी।

कुछ देर बाद, गुड़िया को एक चमकीला तालाब दिखा। तालाब के किनारे रंगीन कमल के फूल खिले थे और तितलियाँ इधर-उधर मंडरा रही थीं। गुड़िया ने वहाँ पानी पीया और कुछ तितलियों से दोस्ती कर ली। तितलियों ने उसे बताया कि तालाब के उस पार एक बड़ा शहर है, जहाँ बहुत सारे पक्षी रहते हैं।

गुड़िया ने सोचा, "चलो, उस शहर को भी देखती हूँ।" वह उड़ी और शहर पहुँच गई। वहाँ उसने ऊँची-ऊँची इमारतें, तेज़ रफ़्तार गाड़ियाँ और लोगों की भीड़ देखी। लेकिन जल्द ही उसे एहसास हुआ कि शहर में खतरे भी बहुत हैं। एक दिन, वह एक बिल्ली के पंजों में फँसते-फँसते बची।

डरी हुई गुड़िया ने सोचा, "माँ ठीक कहती थी, बाहर की दुनिया खतरों से भरी है।" उसने फैसला किया कि अब वह वापस अपने गाँव और अपने घोंसले में लौट जाएगी।

वह सुरक्षित लौट आई और अपने परिवार से मिली। उसकी माँ ने उसे प्यार से गले लगाया और पूछा, "कैसी थी तुम्हारी यात्रा?" गुड़िया ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "बहुत कुछ सीखा, माँ। दुनिया बहुत बड़ी है, लेकिन घर की शांति और सुरक्षा सबसे अनमोल है।"

गुड़िया ने अपने अनुभवों से सभी को अवगत कराया और सबने मिलकर यह सिख लिया कि सुरक्षा में ही सच्ची खुशी है। उस दिन से गुड़िया ने कभी भी अपने घोंसले से दूर जाने की सोची नहीं, और अपनी छोटी-सी दुनिया में खुशहाल रही।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" said

बहुत सुंदर रचना

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