तेरे कानों की बाली ने कुछ तो कहा,
वर्ना यूँ बावरा ना हुआ मैं कभी !!
तेरे पावों के पायल ने कुछ तो कहा,
वर्ना दिल आशिक़ाना हुआ ना कभी !!
आज तक तो न थी तन्हा रातें मेरी,
मेरा दिल ऐसे रूकके धड़कता न था !!
करवटें यूँ बदलता न था रात भर,
मेरा मन यूँ किसी पे मचलता न था !!
उसके सीने के आरोह-अवरोह का,
यूँ असर ना हुआ इस तरह है कभी !!
आज तक हल्के में लेता था प्यार को,
सिर्फ सूझता था हर पल मुझे मस्तियाँ !!
है बेचैनी उसे देखने की मुझे,
कुछ भी कहना हुआ मुश्किल अब मेरा !!
उसके जुल्फों के लट में मैं उलझा ऐसे,
सोचकर एकटक देखता हूँ कहीं !!
वेदव्यास मिश्र की 😍 टीनेजर 😍 कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है