कविता : स्वार्थी दोस्त....
मेरा एक दोस्त उल्टा
पुल्टा करता काम
समाज में वो था
बहुत बदनाम
कभी किसी औरत को छेड़ता
कभी किसी लड़की को छेड़ता
इस कारण कभी मार तो कभी
गाल पर उसे झापड़ पड़ता
वैसे वो गली मोहल्ले में
सभी लड़कों का डॉन था
चोरी चकारी करने में भी
वो नंबर वन था
ऐसे करते करते उसने
ऊंची छलांग भर ली
देश की एक नेशनल
पार्टी ज्वाइन कर ली
फिर चुनाव लड़ा तो
हो गया विजेता
बन गया देश का वो
एक बड़ा नेता
उसके बाद तो उसने भ्रष्टाचार
कर करके बहुत पैसा कमाया
देश के राजधानी में ही
बहुत बड़ा बिल्डिंग बनाया
एक दिन मैं गांव से उसको
मिलने को गया
गेट पर घंटी थी मैंने
घंटी को बजाया
मेरा दोस्त आ कर
अपना गेट खोलता
मुझे देख वो फिर
कौन है तू बोलता
मैं बोला तपाक से अरे
क्या हुआ तुझ को ?
मैं तेरा लंगोटिया यार तू
भुला क्या मुझ को ?
वो बोला अरे हराम के
पिल्ले कहीं
मैं तेरा कोई दोस्त
यार नहीं
गरीब भीखारी
आया है कहां से ?
दो चार हो जा
फटा फट यहां से
ऐसे अपशब्द न जाने
वो क्या क्या बोलता रहा
मैं बाहर अपने
दो हाथ मलता रहा
मैं बाहर अपने
दो हाथ मलता रहा .......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




