कापीराइट गीत
आओ मिलकर यह पेड़ लगाएं
फिर से अपना आंगन महकाएं
इस आक्सीजन की दो बूंदों से
हम डूबती सांसों, को महकाएं
हम ने अपने घर के, आंगन में
एक, छोटा सा, पेड़ लगाया है
कितने मासूम से, इस पौधे से
अपना घर आंगन महकाया है
इस आक्सीजन की ---------
इन पेड़ों से गर सूनी हो धरती
तब ये बारिश, वहां नहीं होती
आएंगी निस दिन, ये बाढ़ नई
दिल में कोई आस, नहीं होती
हम आज करें, प्रण मिल कर
यह एक छोटा सा पेड़ लगाएं
इस आक्सीजन की - --------
गर नहीं माने, बात आज तुम
ये नई सांसें, कहां से लाओगे
बिन पेड़ों के, इस दुनियां को
अब तुम कैसे स्वर्ग बनाओगे
यह स्वर्ग बसा, पेड़ों में यादव
आओ आज, यह पेड़ लगाएं
इस आक्सीजन की - --------
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है