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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आओ मिल कर पेड़ लगाएं

कापीराइट गीत

आओ मिलकर यह पेड़ लगाएं
फिर से अपना आंगन महकाएं
इस आक्सीजन की दो बूंदों से
हम डूबती सांसों, को महकाएं

हम ने अपने घर के, आंगन में
एक, छोटा सा, पेड़ लगाया है
कितने मासूम से, इस पौधे से
अपना घर आंगन महकाया है
इस आक्सीजन की ---------

इन पेड़ों से गर सूनी हो धरती
तब ये बारिश, वहां नहीं होती
आएंगी निस दिन, ये बाढ़ नई
दिल में कोई आस, नहीं होती
हम आज करें, प्रण मिल कर
यह एक छोटा सा पेड़ लगाएं
इस आक्सीजन की - --------

गर नहीं माने, बात आज तुम
ये नई सांसें, कहां से लाओगे
बिन पेड़ों के, इस दुनियां को
अब तुम कैसे स्वर्ग बनाओगे
यह स्वर्ग बसा, पेड़ों में यादव
आओ आज, यह पेड़ लगाएं
इस आक्सीजन की - --------

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

सभी पाठकों से अनुरोध है कि वे प्रथम पैरा के नीचे ये दो लाईनें जोड़कर पढ़ें - पेड़ हैं सांसें, पेड़ हैं जीवन क्यूं न इस जीवन को बचाएं इस आक्सीजन की - -------

Lekhram Yadav replied

Thanks to all.

रीना कुमारी प्रजापत said

👏👏👌👍✍️✍️

Lekhram Yadav replied

धनयवाद एवं सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना।

श्रेयसी said

Sahi kaha aapne magar koi sochta nahi h ,balki kaatne par log aamaada hain 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात एवं नमस्कार श्रेयसी जी।

कमलकांत घिरी said

बहुत ही सुंदर लेख लिखे सर जी, किंतु एक दुविधा है कि पता तो सबको है की वन रहेंगे तो हम रहेंगे लेकिन हमारा दुर्भाग्य है की कोई इसपर अमल नहीं करता..प्रणाम।।🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार कमलकांत भाई, मगर हम एक शुरूआत तो कर ही सकते हैं। कोशिश करके देखिए बहुत कुछ होता नजर आएगा।

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