मोहब्बत का दौर कल का सवेरा लगता।
उमर हो गई अब हिज्र का अँधेरा लगता।।
याद आते अश्क आने लगे तन्हाई में मेरे।
गाँव वालों की मानकर जीवन हारा लगता।।
दोनों ही न कर सके एक दूसरे को हासिल।
कोशिशे अफ़साना बनी दूर सितारा लगता।।
जो ख्वाब पूरे न हुए बयां कर रहा लिखकर।
हकीकत में प्रेम के दुश्मन का इशारा लगता।।
शायरी कहाँ निकलती 'उपदेश' इबादत में।
काफ़िर को समझो किस्मत का मारा लगता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




