जो बेघर हैं उनको मकां चाहिये
तराशी जो वापस ज़ुबाँ चाहिये
रियासत सियासत नहीं मांगते
फकत जालिमों का सर चाहिए
दवा से मिली ना राहत अभी तक
खुदा से मरज की दुआ चाहिए
जमाने से इनको मिले खूब आँसू
फिर भी वतन का भला चाहिये
मां ने रखा दास जो हाथ सर पे
आँचल के उसकी हवा चाहिये II