कापीराइट गीत
आओ छोड़ो आज निराशा मन में आशा के दीप जलाएं
गर लें पाएं न कोई निर्णय तो मन की शंका दूर भगाएं
वक्त है कम काम बहुत हैं दिखती है मंजिल मुश्किल
टूटने दो अब नींद का जादू होने दो आंखें झिलमिल
आलस ने घेरा हमको अब आओ इसको दूर भगाएं
आओ छोड़ो ......................
घूम रहा है वक्त का पहिया रूकने का अब नाम नहीं
करने हैं पूरे ख़्वाब अधूरे और मुझे कोई काम नहीं
आओ मिल कर साथ चलें अपना जीवन सफल बनाएं
आओ छोड़ो ........................
खिलते मेहनत के आंगन में आशाओं के फूल सभी
एक दिन खुशियां ले कर आएंगे राहों के ये शूल सभी
मंजिल को पाने के लिए आओ मिल कर कदम बढ़ाएं
आओ छोड़ो ......................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है