शादी के दिन
बाहरी मंडप सजा होता है,
अंदर दोनों पक्षों का
मौन युद्ध शुरू होता है!
लड़के वाले आते हैं —
जैसे मुग़ल सेना चढ़ती है!
और लड़की वाले
घबराए से खड़े —
“पानी पूछा की नहीं?”
“गिफ्ट सही सजा कि नहीं?”
“DJ की स्पीकर लड़की के मामा के कान के पास तो नहीं?”
लड़के की माँ —
साड़ी की सिलवटों में
कमियाँ ढूँढती हैं,
और लड़की की मौसी
दूल्हे की चप्पल के डिज़ाइन में
“Status” की गहराई नापती हैं!
फूल, मिठाई, नारियल और नेग —
सब विस्फोटक सामग्री बन जाती है।
“कितने का लहंगा है?”
“शगुन में सिर्फ़ इतने?”
“सुनिए, हमारे यहाँ तो सोने की थाली दी जाती है…”
घड़ी देखी जाती है,
लेकिन वक्त नहीं समझा जाता —
लड़के वाले सोचते हैं —
“VIP हैं हम!”
लड़की वाले डरते हैं —
“बस कहीं कुछ कम न रह जाए!”
दूल्हा स्टेज पर बैठा होता है —
बिलकुल भोला लग रहा होता है,
पर उसकी मौसी पीछे से
गिफ्ट के पैकेट्स गिन रही होती है।
और जब जयमाला होती है —
तो कैमरा मुस्कान दिखाता है,
पर दोनों पक्षों की आँखें
नेग, खान-पान और घूँघट के इंच नाप रही होती हैं!
फिर विदाई आती है —
सबकी आँखें नम होती हैं,
पर पीछे से सासू माँ कान में पूछती हैं —
“तुम्हारी भाभी ने कितने तोले पहनाए थे तुम्हारी दीदी को?”
⸻
तो साहब!
शादी में सिर्फ़ दो दिल नहीं मिलते…
दो परिवारों की एगो, मामियाँ, तेज मौसियाँ
और साइलेंट जलन भी मिलती है।
ये सिर्फ़ रस्में नहीं —
रिश्तों की रेस होती है,
जहाँ लड़के वाले बनते हैं “Royal”,
और लड़की वाले —
“Lo…yal!”

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




