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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कहां आ गए हम

ये कौन सी जगह है
ये कहां आ गए हम
ये फलक है कौनसा
जिस पे छा गए हम


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

गीतिका पंत said

Bahut khoob

Lekhram Yadav replied

Hi Geetika ji thanks to like my few lines. But your expression bahut khub is more weightful then these lines. You are welcome here.

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर लिखा, ये सुख़न वरों की महफ़िल जहां आ गए आप, ये Likhntu. Com है जहां छा गए आप

Lekhram Yadav replied

सुखनवरों की महफिल में स्वागत करने के लिए मैं आपका बेहद शुक्रगुजार हूं।

Kapil Kumar said

अच्छी खासी इंसानियत छोड़कर कबूतरखाने से भी बदतर जिंदगी जीने आगये हम - बहुत ही सुन्दर लिखा आपने

Lekhram Yadav replied

कपिल जी कमेंट के लिए बहुत शुक्रिया। जिन्दगी जीना हमारी अपनी पसन्द है चाहे तो जिन्दगी को खुल कर जीओ और चाहो तो गमों से संवार लो।

Vineet Garg said

Bahut Sundar

Lekhram Yadav replied

विनीत जी, आपके आशिर्वाद से कुछ नया करने की कोशिश करता रहूंगा और मेरी गजल/गीत पसन्द करने के लिए शुक्रिया।

वन्दना सूद said

Nice 😊

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सादर प्रणाम वन्दना जी।

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