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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हर तरफ कातिलों के चेहरे है-ताज मोहम्मद

हर तरफ कातिलों के चेहरे है।
कहाँ जाए निगाहों के पहरे है।।1।।

अब कैसे दिखाएं दर्द तुमको।
इस ज़िन्दगी के ज़ख्म गहरे है।।2।।

दूर-दूर तक मिलेगा ना कोई।
हर शू ही बस सन्नाटे पसरें है।।3।।

वीराँ हो गई अपनी वो बस्ती।
जहाँ पे हम हिल मिल खेले है।।4।।

खामोश हो गए बाग बागीचे।
उड़ गए दरख्तों से परिन्दे है।।5।।

कैसे कहे वो सूरत से हंसी है।
उनमें शर्मो हया के न परदे है।।6।।

राख हो गए सब घर जलकर।
हर तरफ देखों गर्द के सहरे है।।7।।

ठिकाना ना बचा अब अपना।
ये सबके सब दुश्मनों के हुजरें है।।8।।

अब कैसे बतायें तुम्हेँ कितने।
इस मुर्दे शहर के सब मसले है।।9।।

क्या करोगे जानकर शहर को।
हर तरफ बरबादियों के चर्चे है।।10।।


ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

वाह ताज भाई कितना बड़ा जिगर है आपका, मुर्दों के शहर तक के मसले सुलझा लेते हैं । सलाम ताज भाई।

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत खूब

Komal Raju said

Bahut hi umda rachana👏👏

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