उसे कमाने का हुनर रहा उड़ाने का नही।
थोड़े में गुजारे का असर जताने का नही।।
दौलत जितनी हो लालच मे कम लगती।
लालची इंसान से सम्बंध बढ़ाने का नही।।
हर एक मुँह को खाने दे अपने तरीके से।
निस्वार्थ भलाई का हुनर दबाने का नहीं।।
माँ का कर्ज चुकाने में 'उपदेश' चूक गया।
फिर भी दुलार का असर जाने का नही।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद