ये वक्त क्या जाने ?
जिनकी उँगली पकड़ कर चलना सीखा
जिनकी गोद में बचपन बीता
जिनके साथ अठखेलियाँ करते रहे
जिनकी बातों से हमारी बातें बनीं
अनगिनत लम्हों का जो हिस्सा रहे
एक एक करके उन्हें रुकसत होते देखना आसान नहीं
चलते चलते ऐसा ठहराव आना शांत समुंदर सा लगा
जो तूफ़ान को अपने में समेटे
बहुतों को अपने साथ ले जाने की फिराक में दिखा
अब तो आँखों के आँसू भी सूखने लगे
पर वक्त क्या जाने किसी के जज़्बात?
अगर दिल होता !!
तो यकीनन जीवन कुछ अलग ही होता..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




