आ खुलके प्यार करूँ तुमको,
बुझाओ ना दीया !!
कि जल रहा है तन-बदन,
बुझाओ ना दीया !!
अँधेरे में आज दिल ,
मेरा क्यूँ डरता है !!
जी भर के प्यार करूँ तुमको,
बुझाओ ना दीया !!
उजाले में देखना है,
तुम्हें जी भर के !!
ज़रा क़रार तो आये,
बुझाओ ना दीया !!
तड़प रहा हूँ देखने को,
तुझे बरसों से.. !!
आ एक होके अब जी लें,
बुझाओ ना दीया !!
सिर्फ देखो आज मुझको,
उजाले में सनम !!
न और ला ख़यालों में,
बुझाओ ना दीया !!
वेदव्यास मिश्र की हसीन गज़ल खुले😍दिल की कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है