दामन को भिगोना अच्छा नहीं है
हर वक्त का रोना अच्छा नहीं है।
ऊँची बातें करता है वक्त बेवक्त
शायद वो शख्स तो सच्चा नहीं है।
सिर्फ झिड़को मत उसे यूं हरबार
समझदार है अब तो बच्चा नहीं है।
दास ख़ुद में अगर सिमटा है कोई
अंतर्मुखी होगा वो तो गुस्सा नहीं है।
बिखरा हुआ कतरा कतरा दिल ये
आपका जाहिद पर बेवफा नहीं है II