मौसम बदला,
बदला मिज़ाज।
जो हम बदले,
तो बदल गए हैं आप।।
ख़्वाब बदला,
बदला आगाज़।
जो हम बिछड़े,
तो बिछड़ गए हैं आप।।
आईने टूटे,
टूटे कितने ही मेहताब।
जो हम टूटे,
तो टूट गए हैं आप।।
सपने टूटे,
टूटे कितने ही घर बार।
जो हम रूठे,
तो रूठ गए हैं आप।।
ज़माना गुस्साया,
मुकद्दर गुस्साया।
जो हम गुस्साए,
तो गुस्सा गए हैं आप।।
अपना गुस्साया,
हर पराया गुस्साया।
जो हम बिखरे,
तो बिखर गए हैं आप।।
- 🖊️ रीना कुमारी प्रजापत