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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” की कविता “हार में जीत”

मैंने देखा—
जंगल का सबसे ऊँचा पेड़
तूफ़ान से लड़ते-लड़ते गिर पड़ा,
पर घास का तिनका
धरती से लिपटकर
अब भी साँस ले रहा है।

मैंने जाना—
लहरें सदियों तक—
चट्टानों से टकराती रहीं,
फिर थककर
किनारों की गोद में सो गईं।

तब समझा—
हारना हार नहीं,
वो साहस है
जहाँ अहंकार घुटनों पर बैठ जाता है
और मौन
सबसे ऊँची आवाज़ बन जाता है।

लड़ाई न लड़ना ही
सबसे कठिन युद्ध है—
जहाँ तलवारें म्यान में रोती हैं
और खून की जगह
ममता बहती है।

जीत का चेहरा
किसी ताज में नहीं,
पराजय की राख में छिपा होता है।

और सबसे सच्चा योद्धा—
वो है
जो अपने भीतर
युद्ध को ही मार देता है।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

शिल्पी चड्ढा said

बहुत सुंदर

और सबसे सच्चा योद्धा—
वो है
जो अपने भीतर
युद्ध को ही मार देता है।
सच ही है|

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

जीत का चेहरा किसी ताज में नहीं, पराज्य की राख में छिपा होता है! वाह! बहुत ख़ूब! बेहतरीन रचना, राशा जी! आफ़रीं! आफ़रीं! 👌👌👏👏

Lekhram Yadav said

एक सच्चे योद्धा की खूबसूरत परिभाषा के साथ एक सुन्दर रचना, आपको सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, इकबाल जी, अतिसुंदर भावमयी कविता। सचमुच ,सच्चा योद्धा युद्ध ही नहीं चाहता। बिना युद्ध के ही रण जीत लेता है। बहुत ही उम्दा सोंच के साथ लिखी गयी रचना।👌👌👌🙏

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