मैंने देखा—
जंगल का सबसे ऊँचा पेड़
तूफ़ान से लड़ते-लड़ते गिर पड़ा,
पर घास का तिनका
धरती से लिपटकर
अब भी साँस ले रहा है।
मैंने जाना—
लहरें सदियों तक—
चट्टानों से टकराती रहीं,
फिर थककर
किनारों की गोद में सो गईं।
तब समझा—
हारना हार नहीं,
वो साहस है
जहाँ अहंकार घुटनों पर बैठ जाता है
और मौन
सबसे ऊँची आवाज़ बन जाता है।
लड़ाई न लड़ना ही
सबसे कठिन युद्ध है—
जहाँ तलवारें म्यान में रोती हैं
और खून की जगह
ममता बहती है।
जीत का चेहरा
किसी ताज में नहीं,
पराजय की राख में छिपा होता है।
और सबसे सच्चा योद्धा—
वो है
जो अपने भीतर
युद्ध को ही मार देता है।
-इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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