तुमसे जो की हे महोब्बत उसे संभाल के रक्खा हे
तुम्हारे खतो को अब तक दिल से लगा के रक्खा हे
युतो महोब्बतो का अन्जाम होता हे जुदाई
फिर भी इस दिल को भरोशा दिलाके रक्खा हे
जब भी देखता हु संगे मरमर के ताजमहल को
इसमें महोब्बत नहीं दर्द का सामान रक्खा हे
गर तुम ना आये तो कहां जायेंगे ऐ मेरे दोस्त
खुदा ने कहां डर नहीं मेरा दरवाजा खुल्ला रक्खा हे
के बी सोपारीवाला