कापीराइट गजल
पास, हो कर, भी तुम, दूर रहते हो
किन ख्यालों में गुम हुजूर रहते हो
दूर जाने से पहले ये बताते जाओ
किस बात से डरके हुजूर रहते हो
तेरे आने से मुझे, मिलती है खुशी
क्यूं इस खुशी से तुम दूर रहते हो
मेरी मौजूदगी भी नहीं पसन्द तुझे
साथ मेरे कहां तुम हुजूर रहते हो
आ गए हो अगर बात भी कर लो
क्यूं खफा हो कर तुम दूर रहते हो
बात करनी नहीं तो ना करो हमसे
यह किस नशे में तुम, चूर रहते हो
जी, भर के करो तुम, बात गैरों से
इस दिल में मगर तुम हुजूर रहते हो
तेरे, नसीब में है, दूर, रहना यादव
तभी तो अपनों से, यूं दूर रहते हो
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है