अक्सर जब लगता है हमे जिदंगी है कितनी रंगीन
ख्वाब सजाते है जब हम कुछ हसीन।
तभी वो रब नचाता है हमे बजाकर अपनी बीन
कभी लगता है क्यो मिले हमे केवल बचपन,जवानी,बुढ़ापा बस ये तीन ।
आकर बुढ़ापे मे जब हम हो जाते है बिल्कुल हीन
तभी कोई लेता है हमारी जिंदगी छीन।
-राशिका✍️✍️✍️