भीनी भीनी घर में खुशबू महक रही है
किसके आने की चाहत दहक रही है
फूल पुराने गुलदस्ते में खिल से उठे हैं
हर चेहरे की कैसी रंगत बदल रही है
आसमान में देते. बादल हैं खुद दस्तक
ठंडी हवा कुछ. धीरे धीरे लहक रही है
दास धूप में भी चंदन है की शीतलता
रात चांदनी में यह गौरया चहक रही है
बदला है वो अपना हर अंन्दाज पुराना
हर आहट पे आँख हमारी फड़क रही है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




