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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बुद्ध हो जाओ

बुद्ध ने कब कहा
की बुद्ध होने के लिए सदैव बुद्ध ही हो जाओ
और ये भी की
सत्य को खोजने के लिए बुद्ध ही होना होगा
तुम्हे क्यूं करना है गृहत्याग?
क्यों न तुम लालसा त्यागकर सत्य को समझ लो।
तुम्हे क्यूं करनी है संसार यात्रा
क्यों न अंतर्मन की यात्रा कर तुम सत्य को समझ लो।
तुम्हे क्या ज़रूरत पीपल के वृक्ष की
क्यों न संघर्ष की छांव तले,
साधना कर तुम सत्य को समझ लो।
तुम्हे क्यूं करना है काननवास
क्यों न एकांतचिन्तन में वास कर,
तुम सत्य को समझ लो।
तुम्हे क्यूं करनी है घोर तपस्या,
क्यों न तुम सत्य को जानने के प्रयत्न से,
सत्य को समझ लो।

आख़िर क्या आवश्यकता है,
बुद्ध होने के लिए,बुद्ध ही होने की।
क्यों न अपने आत्मबल से सत्य को खोजकर
तुम बुद्ध हो जाओ।।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Bhushan Saahu said

Satya vachan....ham sbme buddh baste hain. Bas jarurt ha to unhe khojne ki.

कमलकांत घिरी said

अहा अति उत्तम रचना मन प्रसन्न हो गया इस रचना को पढ़कर बहुत खूब👌👌👏🙏

Pragya kashyap replied

धन्यवाद आपका।

उत्कर्ष कश्यप said

बुद्ध बुद्ध बने थे और आपको आप बनना चाहिए। सुंदर रचना।

Pragya kashyap replied

धन्यवाद

इक़बाल सिंह “राशा“ said

बहुत बढ़िया खूबसूरत सोंच

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