Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” ” की कविता “वो मेरे भीतर से बोलता रहा”

मैं उसे छू नहीं पाया —
वो हवा की तरह नहीं था,
कि हथेली फैलाकर थाम लेता,
वो तो जैसे प्रश्न बनकर
उतरता रहा मेरी आत्मा में।

कभी किसी पुरानी किताब की महक में,
कभी पसीने में भीगी नींद के भीतर,
वो मुझे बिना कहे सुनाता रहा
मेरे ही अनकहे शब्द।

मैंने उसे पहचानना चाहा —
रात की ठंडी दीवारों पर
मैंने उसकी परछाइयाँ टाँकीं,
पर हर सुबह
वो कोई और शक्ल पहन लेता।

मैं उसे छू नहीं पाया —
पर जब मैं टूटा,
वो मेरे भीतर
दरारों से बोलने लगा।

मैं उसके लिए कभी ‘कोई’ नहीं था,
पर मैं उसकी हर चुप्पी में
एक नाम बनकर गूंजता रहा।

वो प्रेम नहीं था,
ना ही कोई ईश्वर —
वो बस एक जागता हुआ मौन था,
जो मेरी धड़कनों को
अपने अर्थ देता रहा।

अब मैं उसे पहचान नहीं पाता,
पर जब मैं कुछ नहीं कहता,
वो तभी सबसे ज़्यादा
मुझमें बोलता है।

कभी वो
भीगे हुए दीपक की लौ में मिला —
जो जलता नहीं था,
पर फिर भी
मेरे अँधेरे को बुझाता रहा।

वो लौ नहीं था,
ना ही रौशनी —
वो एक साँस था
जो बिना आवाज़ के
मेरी हर धड़कन में कविता रचता रहा।

एक बार वो
बिना किसी पदचिन्ह के
मेरे रास्ते से गुज़रा —
और तब से
माटी भी मेरी रूह की तरह काँपने लगी।

मैंने धरती को टटोला,
आकाश को छुआ,
पर सबसे गहरा निशान
मेरे भीतर की ख़ामोशी पर पड़ा
जहाँ वो हर बार
मुझे मेरे ही सवालों से जवाब देता रहा।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Lekhram Yadav said

हर व्यक्ति के मन में एक शख्स रहता है जो उससे बात भी करता है, ने विचार एवं संवाद भी पेश करता है, मगर हम पहचान नहीं पाते, मनोविज्ञान की भाषा में इसे मेंटल मैन कहते है, यह कभी दिखाई भी नहीं देता और बात भी करता है। आपने अपनी रचना में ऐसी ही मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया है बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद रचना, आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद said

मैं उसे छू नहीं पाया —
पर जब मैं टूटा,
वो मेरे भीतर
दरारों से बोलने लगा।बहुत सुंदर रचना sir 🙌🏻🙌🏻👌👌यकीनन सबको अपने आप को जानने की कोशिश करनी चाहिए पर दुख यही है हम सब फिर भी अपनी बजाय दूसरों को जानना चाहते हैं

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! राशि जी। आपकी कविता पढ़ने के बाद स्तब्ध रह जाता हूं, सोचने लगता हूं कि क्या लिखूं, तारीफ कैसे करूं फिर भी अल्पज्ञ मन से कोशिश कर लेता हूं। अतिसुंदर अतिसुंदर अति सुन्दर सारगर्भित कविता। स्वयं के अंदर स्वयं के अस्तित्व को अनवरत खोजने की मौन चाहत और
हर जगह परमशक्ति की उपस्थिति की प्रबल धारणा।👌👌👌🙏🙏🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

क्षमा कीजिएगा,राशा जी की जगह राशि जी प्रिंट हो गया।🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

लेखराम जी वन्दना जी समदिल जी इस तरह स्नेह पूर्वक मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हृदय से धन्यवाद

श्रेयसी said

अपने अंतर्मन के मौन स्वरों को पढ़ लेना स्थूल से सूक्ष्म की यात्रा कहलाती है और ये यात्रा आप हमेशा अपनी रचनाओं में करते हैं ये यात्रा कभी रुके नहीं, बहुत ख़ूब लाज़वाब 🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


LIKHANTU DOT COM © 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन