खाना खाकर पति-पत्नी रात को सो गए रात के 12:00 बजे पत्नी की नींद खुली तो देखी उसके पति जाग रहे हैं और करवट बदल रहे हैं ...,
उसने पूछा क्या बात है अभी तक आप सोये नही,...
पति बोला नींद नहीं आ रही है तुम सो जाओ अभी थोड़ी देर में नींद आ जाएगी
पति की बात सुनकर पत्नी सो गई 2:00 बजे पत्नी को प्यास लगी वह पानी पीने के लिये उठी देखी तो उसके पति अभी भी जाग रहे थे ..,,
वह सोचने लगी दिन भर फलों का ठेला लेकर कॉलोनी कॉलोनी घूमने वाला आदमी को अभी तक नींद क्यों नहीं आई जरूर कोई गंभीर बात है .
उसने पूछा क्या बात है जी कोई परेशानी है क्या ?
आप मुझे कुछ छुपा रहे हैं ?
उसका पति उठ कर बैठ गया और बोला
नहीं नहीं टेंशन की कोई बात नहीं है बस नींद नहीं आ रही है तुम सो जाओ ..,
पत्नी ने अपने पति का हाथ अपने सिर पर रख दिया ...
खाओ मेरी कसम की टेंशन वाली कोई बात नहीं है ...जब पत्नी कसम दी तब उसने बताया कि ..
पड़ोसी से जो पैसे हमने 1 साल के एग्रीमेंट पर लिए थे वह अब अपना पैसा मांग रहा है
अरे ऐसे कैसे पैसा मांग रहा है वह तो 1 साल के एग्रीमेंट है हम इतनी जल्दी पैसा नहीं दे सकते ..अभी तो 3 महीने भी नहीं हुआ ....
पति बोला..बोल रहा था कि पैसा नहीं दोगे तो बहुत बुरा होगा...क्या करूं ठेला बेचकर भी पैसे का इंतजाम नहीं हो पाएगा...
पत्नी ने अपने पति का हाथ पकड़ा और घर से बाहर लेकर आई ...
रात के 2:00 थे...वह बहुत जोर जोर से पैसा देने वाले पड़ोसी का दरवाजा पीटने लगी ....
आवाज सुनकर पूरा मोहल्ला जाग गया और उधार देने वाला पड़ोसी भी बाहर निकाल आया ....क्या हुआ इतना जोरदार से मेरा दरवाजा क्यों पीट रही हैं ...
वह बोली... सुनिए भाई साहब आपसे पैसा हम 1 साल के एग्रीमेंट पर लिए हैं 1 साल से पहले पैसा नहीं देंगे ...
आप मेरे पति को धमकी दे रहे थे ...कि पैसा नहीं दोगे तो बहुत बुरा होगा ..तो सुनिए -
आपसे जो बन पड़ता है कर लीजिए ...मैं भी देखती हूं...कानून मेरे साथ है .....या केवल तेरे
उधार देने वाला पड़ोसी हक्का-बक्का सा उसे देख रहा था ..
वह अपने पति का हाथ पकड़ी और अपने घर चली आई ...और बोली ....
अब आप सो जाइए ..., अब वह जागेगा .....
सुनिए जी - कभी-कभी ना जैसे को तैसा जवाब देना पड़ता है ...
दोस्तों ऐसी होती है औरतें 'उपदेश' जब बात अपने पति और बच्चों की हो तो किसी से भी लड़ जाती है....
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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