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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परमानेंट डियर

कर दो ना परमानेंट डियर
थोड़ा तो अब समझा करो
मेरी हालत -ए -रिसेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर

तुम इंस्टा की सुंदरता हो
मैं वही पुराना फेसबुकिया हूँ
तुम कड़क नोट बीस की हो
मैं सिक्का -ए -दो रूपया हूँ
तुम नई नोट के माफिक हो
मैं बंद नोट ऐंसीयंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर

तुम खरगोश सी चंचल हो
मैं तो मन से टर्टल हूँ
तुम एग्रीमेंट हो लिखी हुई
मैं हर शर्त इन वर्बल हूँ
तुमपर ही जा अटका है
मेरा जिद्दी सेंटीमेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर

मैं तो डिजिटल प्रपोजी हूँ
तुम केयर वाली इमोजी हो
मैं तुम्हारे माफिक चलता हूँ
तुम तो वेरी मनमौजी हो
तुमने क्या व्हाट्सप्प चेक किया?
मैं हर्ट दिया हूँ सेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर

किस्तों में मोहब्बत करते हो
मैं फुल टाइम का आदी हूँ
तुम रेशम सी कोमल ठहरी
मैं तन और मन से खादी हूँ
गर लोन पर दिल दे दो अपना
तो कर दूँ डाउनपेमेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर

तुम फर्स्ट डिवीजन कला निष्णात
बैठती थी बेंच पर सर्वदा फ्रंट
मैं जैसे – तैसे पास हुआ हूँ
था बैक बेंचर घोघा बसंत
मैं तैंतीस परसेंटी मुश्किल से पास
तुम पास विथ सेंट परसेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज़ पर हूँ
कर दो ना परमानेंट डियर
-सिद्धार्थ गोरखपुरी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

सुभाष कुमार यादव said

👌👌👌

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