डिगा सका न कोई मेरे इरादों को ।
भंवर में फंसा ना सका मेरी कस्ती को ।
दाग भी ना लगा सका मेरी हस्ती में ।
मैं चलता रहा अपनी धुन अपनी मस्ती में।
खोल क़िस्मत का ताला ।
बन गया हूं नसीबों वाला ।
मुझे किसी का डर नहीं
कोई ज़ोर जवानी पर नहीं।
मैं उड़ता हौसलों की उड़ान लिए ।
दिल में खुशी सबका सम्मान लिए ।
है विश्वास मुझे मेरे प्रयासों पर
दृढ़ विश्वास संकल्पित पर
जोशीला हूं पर बेहोश नहीं
सदा खुली रहती मेरी आंखें
ये कभी मदहोश नहीं।
चाहें लाख़ जलजालें क्यों ना आ जाएं।
हम कभी घबराते नहीं
लाखों की भीड़ हो तो क्या
हम कभी घबराते नहीं।
हूनरबाजों की टोली अपनी
हमें ख़ुद पर नाज़ है
हम पहले भी थे कल में भी
हम भारत के आज़ हैं।
हम हूनरबाज़ हैं
हम देश की शान है
हमसे हीं देश महान है...
हमसे हीं देश की शान है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




