👉 बह्र - बहर-ए-हिन्दी मुतकारिब मुसम्मन मुज़ाफ़
👉 वज़्न - 22/22/22/22/22/22/22/2
👉 अरकान - फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
तेरा-मेरा अपना-पराया कुछ पल का अफ़साना है
तन्हा जग में आते हैं सब और तन्हा ही जाना है
फ़ानी है सब क़ुछ दुनिया में कौन सदा को रह पाया
कुछ पल के मेहमाँ है सारे किसका यहाँ ठिकाना है
गलती कोई गैर करे तो सब समझाने लगते हैं
लेकिन अपनी गलती कोई कब दुनिया में माना है
सबकी अपनी-अपनी ख़ुशियाँ सबकी अपनी चाहत है
कोई प्यार का भूखा कोई दौलत का दीवाना है
सीधी से जब घी ना निकले उँगली टेढ़ी कर लेना
उँगली टेढ़ी करने वालों का ही आज ज़माना है
दौलत शोहरत ख़ूब कमाओ याद रहे पर इतना 'शाद'
थोड़ी सी नेकी भी कमाना रब के घर भी जाना है
©विवेक'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




