"ग़ज़ल"
ये ज़िंदगी छोटी है प्यार करने के लिए!
सौ बार जनम लूॅंगा तुझ पे मरने के लिए!!
मैं तिरे इश्क़ का मारा तुझे ढूॅंढता रहा!
पनाहों में तिरी आ के सॅंवरने के लिए!!
मैं ने टूट के जानाॅं तुझ से की है मोहब्बत!
फूल बन के तिरी राहों में बिखरने के लिए!!
मिरे दिलबर मिरे हमदम मैं तैयार हूॅं हरदम!
तिरे इश्क़ में कुछ भी कर गुज़रने के लिए!!
'परवेज़' तोड़ी जाती नहीं कभी प्यार की क़समें!
वा'दे किए जाते नहीं मुकरने के लिए!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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