निगाह में रही मगर तबियत सम्हालूँ कैसे।
मेरे कदम उठते ही नही सामने पहुँचूँ कैसे।।
जरा सोचने भर से रंगत आ जाती मुँह पर।
यही बात उन पर लागू यदि होती पूँछूँ कैसे।।
हम को मालूम है उनके पहलू में जन्नत पर।
उन्हे एहसास है या नही 'उपदेश' पूँछूँ कैसे।।
गणित के फार्मूले काम में आने से रहे पर।
हिसाब किताब सही है या गलत पूँछूँ कैसे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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