मुझे वादों में लपेटा गया इतना की,
मैं इंसान ना रहा,
मुझे ख्वाबों में लपेटा गया इतना की,
मैं अपने अक्ष में ही रह गया,
मेरे झूठ से कहा गया कि मेरा सच बताओ,
इतना की मेरा झूठ ही कह गया,
मेरे बारे में कहा गया किसी से इतना की,
उसका कहना मुझ पर रह गया ।।
- ललित दाधीच