तेरी हर अदा मुझको लुभाने लगी हैं,
संगीत की हर धुन मुझको देखो,
तेरी धड़कने सुनाने लगी है,
मैं कब से तेरा दीवाना था जाना,
ये वाणी सभी को बताने लगी है,
मेरा खुद पर है अब नियंत्रण नहीं,
मैं कहता हूँ कुछ और आँखे कुछ और ही जताने लगी है,
मैं पकडा गया तो सब गलती इनकी(आँखों),
दिल में छुपी थी जो तस्वीर तेरी,
ये पगली सभी को दिखाने लगी है।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'