ख़ामोशी, बदमाश बड़ी
ताने मारे, पर आवाज़ नहीं !!
घायल करें चीख, करूणा भरी
चुपके से सहे, छुपाना आता नहीं !!
तन्हाई कहें, मेरा यक़ीन करों
अकेलेपन की, कहीं दवाई नही !!
अंधेरा हर जगह, पर ये तो साफ़ दिखे
कैसा संजोग, सही इंसाफ़ नहीं !!
हाहाकार मचा पर हवा कहीं नहीं
ले गया आलम, पर क्या ? पता नहीं !!
जगत में एक शून्य आभास हुआ
सच दूर तक नज़र,पर क्षितिज नहीं!!
ख़ामोशी, बदमाश बड़ी
ताने मारे, पर आवाज़ नहीं !!