धूप की उमस गयी, पावस बरस गयी
बूंदों की रस गयी, शरद ऋतु आई
सुबह सरस भयी, घटाएं नीरस भयी
आलस तमस गयी, शरद ऋतु आई
ओंस की चमक नयी, हीरे सा दमक नयी
किरणों की झलक नयी, शरद ऋतु आई
भोर भोर महक नयी, सांझ सांझ चहक नयी
कोयल की कुहक नयी, शरद ऋतु आई
पकी धान बालियां, सधी पुष्प डालियां
सूखी सभी गलियां,शरद ऋतु आई
खिली कलियां कलियां, झुंड झुंड तितलियां
बढ़ी रंगरलियां,शरद ऋतु आई
उद्यत किसान सब,मुख में मुस्कान अब
सज रहे खलिहान सब,शरद ऋतु आई
गुले आसमान अब,पुत रहें मकान सब
सजे धजे दुकान सब,शरद ऋतु आई।।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




