कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
....जीवन अब ठहर जाने दे ,
जिसका कब से इंतज़ार मैं हूं ,
....वह पल भी तो आने दे,
....वह पल भी तो आने दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
....तरस्ती है अखियाँ कब से,
बातें भी अब सुखे लब से(2),
....कुछ तरस तो मुझ पर खाने दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
....काटो और संघर्षो पर,
चलकर आया हूं मैं शायर,
....अब मुझको भी तो सुना ने दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
....कब से भूला अब राह मिली,
जीवन की नई चाह मिली,
....भटका भूला कहकर ना ठुकरा
अब सीने से लग जाने दे,
अब सीने से लग जाने दे,
....कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कुछ अपनों के संग बितानें दे,
कवि राजू वर्मा द्वारा लिखित ....
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




