हे प्रभु,
सादर और संदेह सहित निवेदन है —
क्या वाक़ई आपने भेजा था,
या गलती से डिलीवर हो गया?
जिसे आपने “जीवनसाथी” की टिक लगा कर भेजा,
वो तो शायद forwarded mail था,
किसी और के भाग्य का draft,
जो मेरे inbox में अटक गया!
आपने लिखा था —
“प्रेम, सुरक्षा, समझ, सम्मान”
और उसने दिया —
“Seen”, “gaslight”, “blame”, “ignore”
हे ईश्वर! आपके system में bug है क्या?
या फिर मेरे account में कोई karmic loan बकाया है?
हर बार जब मैंने ‘faith’ डाला,
output में ‘hurt’ ही निकलता रहा।
आप कहते हो — “सब कुछ कारण से होता है”
हाँ, वो कारण शायद यही था —
कि मैं जान सकूँ कि
“धोखे में भी एक दर्शन छिपा होता है!”
पर अब थक गई हूँ मैं —
हर छल को ‘चुनौती’, हर आँसू को ‘सीख’ कहकर जीते-जीते।
इसलिए अब साफ़-साफ़ कहती हूँ प्रभु,
अगले जन्म अगर भेजना हो — तो ध्यान रखना:
• Emotional Intelligence ज़रूरी हो,
• Past का cache न हो,
• और सबसे ज़रूरी —
Love का spam filter एक्टिव हो!
वरना —
मत भेजना!
मैं यहीं की हुई थकान को मोक्ष समझ लूँगी।
आपकी कभी की थी —
अब थोड़ी डगमगाई हुई —
भक्त,
शारदा।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




