कापीराइट गजल
दो पल के लिए अगर तुम ठहर जाओगे
दिल बहल जाएगा जो तुम ठहर जाओगे
वक्त और मौत से कौन जीता है यहां पर
जीत पाया नहीं अगर तुम किधर जाओगे
गर हुआ नहीं कभी गमों से सामना तेरा
किस तरह से तुम गम से उभर पाओगे
साथ देता है कहां जमाना यह किसी का
साथ पाने के लिए तुम भी इधर आओगे
यह अपने मेरे कभी भी हुए नहीं अपने
कहां तुम जिन्दगी ये बसर कर पाओगे
हो गए अब अकेले जिस तरह से हम
कहां साथ तुम अपनों के यूं रह पाओगे
इन राहों में कांटे मिलते हैं बहुत यादव
इतने कांटो से भला क्या गुजर पाओगे
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है