हर घर के तरीक़त का कभी यल्गार होना चाहिए।
अब अपनी कहानी का किरदार भी दमदार चाहिए।
अपने सफर के आप ही राही या हमराही हो,
चलना है बहुत दूर हमें चाही या अनचाही हो,
मंज़िल ना भूल जाएं ये एहतियात चाहिए ।
अब अपनी कहानी का यल्गार भी दमदार चाहिए।
हर घर के तरीक़त का......
रास्ता कटेगा सबका गर साथ हो सफर,
किस्से हैं हमारे कुछ ग़म के, खुशी के,
यादों के कारवां का हमें एक साझीदार चाहिए ।
अब अपनी कहानी का किरदार भी दमदार चाहिए।
हर घर के तरीक़त का...
तुम दूर हो या पास मुझको नहीं फिकर,
चाहने - न चाहने की अब बात है दीगर,
नफ़रत नहीं अब प्यार का एहतराम चाहिए।
अब अपनी कहानी का किरदार भी दमदार चाहिए।
हर घर के तरीक़त का....
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
नई दिल्ली