यकीन दिला कर वो बात से मुकर गया,
अरसे बाद दिल से एक बोझ उतर गया।
ले कर हाथ में नमक, सहलाने लगा था,
ज़ख्म को इतना कुरेदा की वो भर गया।
झूठ बोलने का उसका हुनर बड़ा निराला,
जिसने भी सुना, उस पे असर कर गया।
सच चीख-चीख कर बोलता जिंदा हूँ मैं,
झूठ पास बैठ बोला, जीते जी मर गया।
लगा कर अपनी लत, बिगाड़ गया मुझे,
जब मैं बिगड़ने लगा तो वो सुधर गया।
🖊️सुभाष कुमार यादव