साँझ पड़े दिल चाय माॅंगे,
रात पड़े तो रात भर जागे।
नैनों में भर सपनों को,
रात भर जुगनूओं के पीछे भागे।
साँझ पड़े दिल में उदासी छाए,
रात पड़े तो चाॅंद से बतियाए।
एक टक देखते-देखते तारों को,
चाॅंदनी की पनाह में सो जाए।
साँझ पड़े दिल घर को भागे,
रात पड़े माॅं-पापा की याद सताए।
छत पर बैठे अकेले तन्हा,
आंखों ही आंखों में सुबह हो जाए।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐