कापीराइट गजल
बात दिल की दिलबर से कौन करता नहीं है
कौन कहता है ये दिल तुम पर मरता नहीं है
आहें भर-भर के जिये, चांद तारों के संग हम
कौन कहता है ये चांद तेरा आहें भरता नहीं है
काश होते तुम्हारी इन हंसी बाहों में हम जानम
किसी की बाहों में यूं आकर कोई मरता नहीं है
अगर हो जाते तुम हमारे तो कुछ और बात होती
निगौङी शायरी से हमारा दिल अब भरता नहीं है
हमारे दिल में बसे हो तुम, हमारी यादों में बसे हो
कौन कहता है तुम्हें, ये दिल याद करता नहीं है
जब तुम होते हो सामने, तो होश रहता है कहां
वरना होश मोहब्बत में अब कोई खोता नहीं है
बना कर अपना हमें भी बसा लो दिल में यादव
फकत शायरी से दिल अपना अब भरता नहीं है
सर्वाधिकार अधीन है