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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

धुंध में लिपटी एक कहानी

एक तड़के सुबह...
धुंध की चुप चादर में,
बग़ीचे की राहों पर...
चल पड़ी मैं... अकेली।

हर क़दम... जैसे कोई दबी कहानी बुन रहा था,
न सूरज जागा था,
न रात ने विदा ली थी।

हर शाख़ पर ठहरी थी... हल्की सिहरन,
पत्तों पर ओस की बूंदें... काँप रही थीं।
हवा में तैरती थी कोई अधूरी दुआ,
जैसे बीती यादें... साँस ले रही थीं।

चुपचाप चलते-चलते पहुँची... एक बेंच तक,
जहाँ अक्सर... चिड़ियाँ गीत सुनाया करती थीं।
पर आज वहाँ...
थी एक काँपती आकृति,
जो जैसे ज़िंदगी से... ख़ामोशी में कुछ कह रही थी।

कम्बल में सिमटा... एक थका-हारा तन,
साँसें गहरी थीं...
पर होंठ... खामोश।
पास गई तो...
सुनी रुँधे गले की सिसकी,
जैसे दिल ही दिल से...
कर रहा हो कोई संवाद।

चेहरा... झुर्रियों से ढँका हुआ,
पर आँखें...
वे बोल रही थीं बहुत कुछ।
हर लकीर में छिपी थी...
एक दबी हुई कहानी —
कुछ भूले अरमान... कुछ टूटी पनाहें।

मैं चुप रही...
उसने भी कुछ नहीं कहा,
मगर मौन में जैसे...
सब कुछ कह दिया गया।

मैंने अपने आँचल से...
उसके आँसू पोंछे,
और उसकी काँपती हथेली को...
हल्के से थाम लिया।

वह शायद कोई बेघर था...
या हालातों का मारा,
कोई बिछड़ा अपना...
या वक़्त से हारा।
पर उस पल में...
वो अजनबी
लगने लगा जैसे...
कोई जाना-पहचाना साया।

धीरे-धीरे...
सूरज ने किरणें बिखेरीं,
धुंध ने...
अपना घूँघट हटा लिया।
पर उस बेंच पर ठहरी...
एक कहानी
मुझे ख़ामोशी से...
बहुत कुछ सिखा गई।

बातें न हुईं...
नाम भी न जाना,
फिर भी दिल ने...
उसे अपना माना।

शायद यूँ ही मिलते हैं कुछ लोग,
जो ख़ामोशी में भी
सुकून दे जाते हैं।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

सुप्रिया साहू said

सच कहा आपने कुछ लोग यूं ही मिले होते हैं जो चुपचाप रहकर भी सुकून देते हैं, बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सरिता पाठक said

सचमुच कुछ लोग यूँ ही मिलते हैं, और अजनबी होते हुए भी अपने से लगते हैँ स्मिता जी आप बहुत अच्छा लिखती हैँ हर पंक्ति ह्रदय स्पर्श करती है, आपको व आपकी लेखनी को नमस्कार 🙏

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