स्नेहाशीष हो जिनका हरपल,
प्रणाम सभी उन गुरुजन को,
उन गुरुजन को दंडवत प्रणाम,
जिनसे उद्देलित हुआ कभी,
उन गुरुजन को दंडवत प्रणाम,
जिनकी डांट सही जब तब,
उन गुरुजन को दंडवत प्रणाम,
तपाया मुझे, पिघलाकर दिया नया आयाम,
उन गुरुजन को दंडवत प्रणाम
उन गुरुजन को दंडवत प्रणाम