लबालब हुआ घड़ा एक दिन फूटेगा लाजिमी
जिसका भी हो गरुर एक दिन टूटेगा लाजिमी
जिस पर किया निसार सब कुछ आँख मूंद के
एक दिन जरा सी बात पर वो रुठेगा लाजिमी
जो सच के साथ हो अपना सिर बचाये पहले
ज़ालिम का दल तो शहर को लूटेगा लाजिमी
सारे गुलों को लाजिमी कांटों से रखना दोस्ती
गुलशन यह वरना कलियों से छूटेगा लाजिमी
क्या प्यार क्या इबादत क्या रूप रंग लज्जत
मिल जाये जो सनम घर दिल ढूंढेगा लाजिमी
अब मिल गया आपको जो अजनबी सा दास
मंजिल कहाँ पर आखिरी वह पूछेगा लाजिमी