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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परायों को अपना बनाना पड़ा

अपने, अपने ना हुए,
तो परायों को अपना बनाना पड़ा।
जब पराए भी अपने ना हुए,
तो ज़िंदगी को तन्हा बिताना पड़ा।

खुशी नहीं है ज़िंदगी में कोई,
फिर भी मुझे हॅंसना पड़ा।
गमों को छुपाकर मुझे,
हमेशा मुस्कुराना पड़ा।

जिसने भी रिश्ता जोड़ा मुझसे,
हर उसी से धोखा खाना पड़ा।
वफ़ादारों ने नहीं रखा मुझसे कोई रिश्ता,
तो धोखेबाजों से भी रिश्ता निभाना पड़ा।

जब अपनों ने ही अपने घर से बेदखल कर दिया,
तो परायों के घर रहना पड़ा।
और जब परायों ने भी निकाल दिया,
तो फुटपाथों पर सोना पड़ा।
💐✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना, है मेरी प्यारी बहना, मगर अपना ख्याल तो खुद ही रखना होगा। नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी बिल्कुल नमस्कार

Arpita pandey said

Are hume bhi aap apna hi maane Khud ko is tarah dukhi na kiya kijiye Jo bhi mn me hai use kavita me piro dijiyege apko accha lagega

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया अर्पिता जी आपका हम आपको बिल्कुल अपना ही मानते हैं 🙏 तभी तो जो भी हमारे साथ होता है जो भी हमारे मन में होता है उसे हम कविता में पिरो देते हैं और आप तक पहुंचा देते हैं ताकि आप भी हमारे दर्द से हमारी दास्तां से वाकिफ हो सके और हमारा दर्द कम हो सके🙏🙏 अभार प्रणाम

वन्दना सूद said

ज़िन्दगी भी एक challenge ही है सही लिखा 😌✍️फिर भी अपने आप की खड़ा करना ही पड़ता है

रीना कुमारी प्रजापत replied

बिल्कुल जी, शुक्रिया आपका 🙏

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