हमने ज़िंदगी छोड़ दी है ज़िंदगी केलिए सिर्फ़ हम ही नहीं एक ज़िंदगी केलिए
ज़िंदगी अरबों लोगों केलिए है अरब साल से ज़ाहिर है कायनात के एक संसार में
हमारी क्या हैसियत है के ज़िंदगी देखें ज़िंदगी ख़ुद भी नहीं देख सका यही ज़िंदगी है
समझे या नहीं ए दुनियां वालों या कैसे समझाऊं तुझे जबकि तू दीवाना हो गया है मौज मस्ती में
हमने गौर किया जमीं से आसमां तक सितारे चमकते हैं बेजान हो कर आदमी चमकते नहीं देखा
एक चमक थे जिन्हे पहचान नहीं सके ज़िंदगी में न रहे तो हर आंखों में मुहम्मद है
अभी वक्त गया नहीं है " वसी " ख़ुद को पहचान लो खुदा तुझे पहचान लेगा ए वसी
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी !
मुफक्किर ए कायनात ! मुफक्किर ए मखलूकात
दरवेश! लेखक ! पोशीदा शायर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




