किस बात की अकड़ है?
कल ख़ुद ज़मी होगा
आज जमीं के ऊपर है।
किस बात की अकड़ है?
पैसे बिना ज़िंदगी नहीं
पैसा है तो शुकर है।
किस बात की अकड़ है?
समय गवाह है मनीषा
तुम्हें घर की बड़ी फिकर है।
किस बात की अकड़ है?
भूख से तड़पता पेट
सिकुड़ जाता जिगर है।
किस बात की अकड़ है?
इंसान ही इंसान नहीं
बन जाता जानवर है।
किस बात की अकड़ है?
कितना भी कुछ कहो
दुनियां का पैसा ईश्वर है।
_____मनीषा सिंह