चाँद ना था कहीं
आसमान में
पर चांदनी
फिर भी फैली थी
बहुत ढूंढा
इधर उधर
फिर भी नजर
ना आया चाँद
जब छत पर आया
तो पाया
बस थोड़ी दूर
अपनी छत पर था
मेरा चाँद
इतना खुश था
उस पल में मैं
दूर था फिर भी
लगता था जैसे
मेरी बाँहों में है
मेरा चाँद
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