कोई वृक्ष जो गीर गया
तो क्या ?
कोई फल जो वृक्ष से अलग हो गया
तो क्या ?
कोई पशु जो बली चढ़ गया
तो क्या ?
कोई मनुष्य जो मर गया
तो क्या ?
इस ब्रम्हांड में पदार्थ की किमत क्या है ?
कुछ भी नहीं
यहाँ न मरण है
यहाँ न जनम है
यहाँ सब कुछ हो रहा है
इसके होने को जो अपना मानता है
इसके होने को जो अपने कारण मानता है
यह अज्ञान है
इसी कारण दुःख है
इसी कारण पीड़ा है
इस अज्ञान से मुक्ति ही मोक्ष है
हे भगवंत...
तुम मोक्षदाता।
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️